छत्तीसगढ़ का ज्ञान
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Thursday 29 October 2020
छत्तीसगढ़ में महाजनपद काल
* छत्तीसगढ़ का वर्तमान क्षेत्र ( दक्षिण ) कोसल नाम से एक पृथक प्रशासनिक इकाई था , मौर्यकाल से पूर्व के सिक्को की प्राप्ति से इस अवधारणा की पुष्टि होती है।
छत्तीसगढ़ में रामायण काल
छत्तीसगढ़ में रामायण काल
* इस काल में छत्तीसगढ़ का नाम दक्षिण कोसल था तथा इसकी राजधानी कुशस्थली थी। इस समय दक्षिण कोसल की भाषा कोसली थी।
* वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण के अनुसार , दक्षिण कोसल के राजा भानुमंत की पुत्री कौशल्या का विवाह उत्तर कोसल के राजा दशरथ से हुआ था इस प्रकार छत्तीसगढ़ श्रीराम का ननिहाल माना जाता है।
* कोसल प्रदेश का नामकरण राजा भानुमंत के पिता महाकोसल के नाम से हुआ ,ऐसा माना जाता है।
* इस काल में बस्तर का नाम दंडकारण्य था।
* राज्य में रामायणकालीन प्रमुख स्थल सरगुजा ( रामगढ , सीता बेंगरा , लक्ष्मण बेंगरा ) , शिवरीनारायण ( शबरी का निवास स्थल ) , तुरतुरिया वाल्मीकि आश्रम ( लव -कुश का जन्म स्थान ) , सिहावा पर्वत , पंचवटी ( सीता का अपहरण क्षेत्र ) व दंडकारण्य ( राम के वनवास का एक प्रमुख क्षेत्र ) है।
छत्तीसगढ़ में बौद्ध एवं जैन धर्म
छत्तीसगढ़ में बौद्ध एवं जैन धर्म
* अवदान शतक नामक बौद्ध ग्रन्थ के अनुसार , महात्मा बुद्ध सिरपुर ( छत्तीसगढ़ ) आए थे तथा लगभग तीन माह तक यहां की राजधानी ( श्रावस्ती ) में उन्होंने प्रवास किया था। ऐसी जानकारी चीनी यात्री ह्वेनसांग के यात्रा वृत्तांत से भी मिलती है।
* छठी शताब्दी में बौद्ध भिक्षु प्रभु आनंद ने सिरपुर में स्वास्तिक विहार एवं आनंद कुटी विहार निर्माण कराया था।
* जैन धर्म ग्रन्थ भगवती सूत्र के अनुसार कोसल महाजनपद उत्तर कोसल तथा दक्षिण कोसल में बंटा हुआ था।
* ऋषभ देव के विषय जानकारी गुंजी ( जांजगीर -चांपा ) से , पर्श्वनाथ की नगपुरा ( दुर्ग ) से तथा महावीर आरंग ( रायपुर ) से मिलती है।
Sunday 27 September 2020
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Thursday 24 September 2020
छत्तीसगढ़ का प्राचीन इतिहास
छत्तीसगढ़ का प्राचीन इतिहास
* ऐतिहासिक स्त्रोतों की दृष्टि से छत्तीसगढ़ के इतिहास को तीन भागो :-
प्रागैतिहासिक काल ( लिखित विवरण उपलब्ध नहीं ),
आद्य ऐतिहासिक काल (लिखित विवरण पढ़ा नहीं जा सका )
ऐतिहासिक काल ( लिखित विवरण पढ़ा जा सका )
में बाटा जाता है।
* राज्य में प्रागैतिहासिक कालीन साक्ष्यों की सर्वाधिक जानकारी कबरा पहाड़ से प्राप्त हुई है।
प्रागैतिहासिक काल
* प्रागैतिहासिक काल में आदिमानव पत्थरो को घिसकर औजार बनाते थे एवं जंगली जानवरो का शिकार करते थे। कालांतर में आदिमानव गुफा में रहने करने लगा। तथा कंदमूल संग्रहण का कार्य भी करने लगा।
* प्रागैतिहासिक काल को पाषाण युग भी कहा जाता है। विकास क्रम की दृष्टि से सम्पूर्ण युग को निम्न 4 भागो में विभाजित किया गया :-
१. पूर्व पाषाण युग
२. मध्य पाषाण युग
३. उत्तर पाषाण युग
४. नव पाषाण युग
*** पूर्व पाषाण युग ***
*छत्तीसगढ़ प्रदेश में पूर्व पाषाण युग के औजार मुख्यतः रायगढ़ की महानदी घाटी एवं सिंघनपुर की गुफा से प्राप्त हुए है। इन स्थलों से पत्थर के हस्तचलित कुदाल प्राप्त हुए है , तथा सोनबरसा से शैलचित्रो के साथ -साथ पाषाणयुगीन पत्थर के लघुपाषाण औजार भी प्राप्त हुए है।
*** मध्य पाषाण युग ***
* लाल रंग की छिपकली , घड़ियाल , कुल्हाड़ी आदि की चित्रकारी के साक्ष्य कबरा पहाड़ ( रायगढ़ ) से प्राप्त हुए है। इसके अतिरिक्त लम्बे फलक वाले औजार , अर्द्धचंद्राकर लघु पाषाण औजार भी इसी स्थान से प्राप्त हुए है।
* मध्य पाषाणयुगीन 500 पाषाण घेरे स्मारक बालोद ( करहीभदर , चिरचारी , सोरर ) व कोंडागांव ( गढ़धनोरा ) से प्राप्त हुए है।
* पाषाण घेरो के अंतर्गत शवों को दफनाकर बड़े पत्थरो से ढक दिया जाता था।
*** उत्तर पाषाण युग ***
* मानव आकृतियों का चित्रण , औजारो की खुदी हुई आकृति आदि धनपुर ( बिलासपुर ) महानदी घाटी एवं सिंघनपुर ( रायगढ़ ) की गुफाओं से मिलती है।
* सबसे प्राचीन शैलचित्रो में सिंघनपुर गुफा के चित्रों की चित्रकारी गहरे लाल रंग से हुई है। इन चित्रों में चित्रित मनुष्य की आकृतियां कही सीधी , कही डण्डेनुमा और कही सीढ़ीनुमा है।
*** नव पाषाण युग ***
* छत्तीसगढ़ के अर्जुनी (दुर्ग ), चितवाडोंगरी ( राजनांदगांव ) , टेरम (रायगढ़ ) से मनुष्य के अस्थायी कृषि , स्थायीवास , पशुपालन , मृदभांड , सूत कताई तथा नव पाषाण युगीन छिद्रित घन औजार प्राप्त हुए है।
आद्य ऐतिहासिक काल
* इस काल का समय लगभग 2300 से 1750 ई. पू. है। इसके अंतर्गत सिंधु घाटी सभ्यता /हड़प्पा सभ्यता / कांस्ययुगीन सभ्यता को शामिल किया जाता है , किन्तु इस सभ्यता के साक्ष्य छत्तीसगढ़ में नहीं मिले है।
वैदिक काल
* वैदिक काल में मुख्य स्त्रोत वेद व अन्य वैदिक ग्रन्थ है। इस काल को मुख्य रूप से दो भागो में :- ऋग्वैदिक काल व उत्तर वैदिक काल में विभाजित किया गया है।
* ऋग्वैदिक काल ( 1500 -1000 ई. पू. ) में छत्तीसगढ़ से संबंधित किसी भी प्रकार का विवरण नहीं मिलता है।
* उत्तर वैदिक काल ( 1000 -600 ई. पू. ) में ऐसा माना जाता है ,कि इस काल में आर्यो का प्रसार छत्तीसगढ़ में होने लगा था।
* शतपथ ब्राह्मण में पूर्व एवं पश्चिम में स्थित समुद्रो का उल्लेख मिलता है। कौषीतिकीय उपनिषद में विंध्य पर्वत का उल्लेख प्राप्त होता है। उत्तर वैदिक साहित्य में नर्मदा नदी का उल्लेख रेवा नदी के रूप में मिलता है।
Wednesday 23 September 2020
छत्तीसगढ़ समाचार -पत्र
***** छत्तीसगढ़ समाचार -पत्र *****
* छत्तीसगढ़ का प्रथम समाचार -पत्र छत्तीसगढ़ मित्र था। यह वर्ष 1900 में पेंड्रा रोड ( बिलासपुर ) से एक मासिक समाचार -पत्र के रूप में प्रकाशित हुआ था। इसके सम्पादक एवं प्रकाशक माधवराव सप्रे थे।
* वर्ष 1907 में माधवराव सप्रे द्वारा हिन्द केसरी व पदुमलाल पुन्नालाल द्वारा सरस्वती समाचार -पत्र प्रकाशित किया गया।
* वर्ष 1915 में कन्हैया लाल शर्मा द्वारा सूर्योदय समाचार -पत्र प्रकाशित किया गया।
* वर्ष 1921 में ठाकुर प्यारेलाल सिंह द्वारा अरुणोदय समाचार -पत्र प्रकाशित किया गया।
* वर्ष 1922 - 23 में सुंदरलाल शर्मा द्वारा जेल पत्रिका समाचार -पत्र प्रकाशित किया गया।
* वर्ष 1924 में पं. रविशंकर शुक्ल द्वारा कान्यकुब्ज समाचार -पत्र प्रकाशित किया गया।
* वर्ष 1924 में कुलदीप सहाय द्वारा विकास समाचार -पत्र प्रकाशित किया।
* वर्ष 1934 -35 में सुंदरलाल त्रिपाठी ने उत्थान नामक मासिक पत्रिका का प्रकाशन किया।
* राज्य का प्रथम दैनिक समाचार -पत्र महाकोशल था। वर्ष 1937 से पहले यह सप्ताहिक आधार पर प्रकाशित होता था , परन्तु वर्ष 1951 से यह प्रतिदिन प्रकाशित होने लगा।
* वर्ष 1947 में दीपचंद डागा ने छत्तीसगढ़ -केसरी समाचार -पत्र प्रकाशित किया।
* महाकोशल सप्ताहिक के सम्पादक अम्बिकाचरण शुक्ल व महाकोशल दैनिक के सम्पादक पं. रविशंकर शुक्ल थे।
* छत्तीसगढ़ सेवक , छत्तीसगढ़ी भाषा में प्रकाशित होने वाला राज्य का प्रथम व एकमात्र समाचार -पत्र है। इसका प्रकाशन रायपुर से वर्ष 1955 में आरम्भ हुआ था। इसके सम्पादक गजानंद माधव 'मुक्तिबोध ' थे।
* राज्य में हिंदी में सर्वाधिक प्रकाशित होने वाला दैनिक समाचार -पत्र "दैनिक भास्कर " है। इसका प्रकाशन वर्ष 1991 में रायपुर से प्रारम्भ हुआ।
Wednesday 9 September 2020
छत्तीसगढ़ में प्रशासनिक ढाँचा
****छत्तीसगढ़ में प्रशासनिक ढाँचा****
* मध्य प्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ राज्य 1 नवंबर , 2000 को अस्तित्व में आया। छत्तीसगढ़ के निर्माण के लिए लोकसभा द्वारा 31 जुलाई , 2000 को विधेयक पारित किया गया था। छत्तीसगढ़ के प्रशासनिक ढांचे में विधायिका , कार्यपालिका तथा न्यायपालिका आते है।
*** विधायिका ****
* भारतीय संविधान के अनुच्छेद 168 के अनुसार प्रत्येक राज्य में विधायिका का प्रावधान है।
* विधायिका के अंतर्गत विधानपरिषद विधानसभा को सम्मिलित किया जाता है।
**** विधानपरिषद *****
* यह किसी राज्य का उच्च सदन /स्थायी सदन होता है , किन्तु छत्तीसगढ़ में यह सदन विद्यमान नहीं है।
***** विधानसभा ****
* इसे निम्न सदन /अस्थायी सदन / प्रथम सदन भी कहा जाता है। इसका कार्यकाल 5 वर्ष का होता है।
* छत्तीसगढ़ की प्रथम विधानसभा की बैठक 14 दिसंबर से 19 दिसंबर , 2000 को राजकुमार कालेज , रायपुर में हुई थी।
* छत्तीसगढ़ की प्रथम महिला सांसद मिनीमाता थी , इन्ही के नाम पर विधानसभा भवन का नाम मिनीमाता भवन रखा गया। छत्तीसगढ़ का विधानसभा भवन रायपुर में स्थित है।
* विधानसभा का सदस्य बनने के लिए व्यक्ति की आयु 25 वर्ष होनी चाहिए। विधायक जनता के प्रत्यक्ष प्रतिनिधि होते है।
* छत्तीसगढ़ विधानसभा में निर्धारित सदस्य संख्या 91 है। जिसमे 90 सदस्य निर्वाचित होते है तथा 1 सदस्य को मनोनीत किया जाता है।
* छत्तीसगढ़ विधानसभा में सामान्य वर्ग के सदस्यों हेतु 51 , अनुसूचित जाति वर्ग हेतु 10 तथा अनुसूचित जनजाति वर्ग हेतु 29 स्थान आरक्षित है।
* राज्य के मंत्रियों के वेतन -भत्ते के संबंध में निर्णय लेने का अधिकार विधानसभा के पास है।
* प्रदेश में जशपुर , कांकेर , बस्तर तथा दंतेवाड़ा ऐसे जिले है , जिनके समस्त निर्वाचन क्षेत्र आरक्षित है।
* राजेंद्र प्रसाद शुक्ल छत्तीसगढ़ विधानसभा के प्रथम अध्यक्ष थे।
* बनवारी लाल अग्रवाल प्रथम विधानसभा के उपाध्यक्ष थे।
* नन्द कुमार सहाय विधानसभा के ऐसे सदस्य थे , जिन्होंने संस्कृत में शपथ ली थी।
**** प्रोटेम स्पीकर ****
* विधानसभा के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष की अनुपस्थिति में प्रोटेम स्पीकर सीमित अवधि के लिए सदन की अध्यक्षता करता है।
* सदन की पहली बैठक में परम्परा के अनुसार सदन के वरिष्ठ सदस्य को प्रोटेम स्पीकर के रूप में राज्यपाल द्वारा नियुक्त किया जाता है , जिसका मुख्य कार्य नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाना होता है।
* छत्तीसगढ़ के प्रथम विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर महेंद्र बहादुर सिंह थे।
**** कार्यपालिका *****
* राज्यपाल राज्य की कार्यपालिका का कार्यवाही अध्यक्ष एवं संवैधानिक प्रमुख होता है। कार्यपालिका का वास्तविक प्रमुख मुख्यमंत्री होता है।
* 91 वें संविधान संशोधन , 2003 के अनुसार , छत्तीसगढ़ राज्य में अधिकतम 13 मंत्री हो सकते है।
***** राज्यपाल *****
* राज्य की कार्यपालिका का प्रमुख राजयपाल होता है। राज्य का प्रशासन राज्यपाल द्वारा ही संचालित किया जाता है।
* राज्यपाल राज्य के मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्य करता है। मंत्रिपरिष्द का उल्लेख संविधान के अनुच्छेद 163 में उल्लेख है।
* राज्य द्वारा राज्य की विधानसभा को सम्बोधित करने संबंधी प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 176 में है।
* राज्यपाल भारतीय संविधान के अनुच्छेद 200 के अंतर्गत किसी विषय को राष्ट्रपति के अनुमोदन के लिए भेज सकता है।
* राज्यपाल पंचायत की वित्तीय स्थिति का पुनरावलोकन भारत के संविधान के अनुच्छेद 243 (1 ) के अंतर्गत करता है।
* राज्यपाल की नियुक्ति अनुच्छेद 155 के तहत होती है।
* राज्यपाल पद पर नियुक्त किये जाने वाले व्यक्ति में निम्न योग्यताएं होना अनिवार्य है :-
- वह भारत का नागरिक हो।
- 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो।
- राज्य विधानसभा का सदस्य चुने जाने योग्य हो।
**** मुख्यमंत्री ****
* मंत्रिपरिषद का प्रधान मुख्यमंत्री होता है।
* यह बहुमत दल का नेता होता है और इसकी नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है।
* मुख्यमंत्री पद की आवश्यक योग्यताएं - भारत का नागरिक , 25 वर्ष आयु और विधानसभा की सदस्यता है।
* मुख्यमंत्री के कार्य अनुच्छेद 167 में निर्धारित है।
नोट :- जिस राज्य में विधानपरिषद होती है , वहां विधानपरिषद का सदस्य भी मुख्यमंत्री हो सकता है।
*** छत्तीसगढ़ के केंद्रीय प्रशासन में स्थिति ***
* छत्तीसगढ़ में राज्यसभा एवं लोकसभा की कुल 16 संसदीय सीटे है।
* छत्तीसगढ़ में राजयसभा सीटों की संख्या 5 है।
* छत्तीसगढ़ राज्य में 11 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है। छत्तीसगढ़ में लोकसभा में निर्वाचन क्षेत्र सरगुजा , रायगढ़ , जांजगीर -चांपा , बिलासपुर , कोरबा , रायपुर , महासमुंद , कांकेर , बस्तर , दुर्ग तथा राजनांदगांव है। इन निर्वाचित क्षेत्रो में रायपुर , राजनांदगांव , जांजगीर - चाम्पा तथा महासमुंद अनारक्षित है।
* छत्तीसगढ़ में सामान्य वर्ग के लिए संसदीय निर्वाचन क्षेत्र 6 है।
* राज्य में एक संसदीय क्षेत्र ( जांजगीर - चांपा ) अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है तथा चार संसदीय क्षेत्र ( सरगुजा , रायगढ़, कांकेर , बस्तर ) अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है।
***न्यायपालिका ****
* संविधान में उच्च न्यायालय का प्रावधान अनुच्छेद 214 में है। छत्तीसगढ़ का उच्च न्यायालय बिलासपुर ( बोदरी ) में जिले में स्थित है। यह देश का 19 वां उच्च न्यायालय है।
* बिलासपुर उच्च न्यायालय , क्षेत्रफल की दृष्टि से एशिया का सबसे बड़ा उच्च न्यायलय है।
* छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में न्यायधीशो की कुल संख्या 8 ( 1 मुख्य न्यायधीश + 7 अन्य न्यायधीश ) है।
* छत्तीसगढ़ में जनोपयोगी सेवाओं के लिए रायपुर , बिलासपुर , जगदलपुर , अंबिकापुर और दुर्ग में स्थायी लोक अदालतों का गठन किया गया है।
*** छत्तीसगढ़ में पुलिस प्रशासन ****
* छत्तीसगढ़ राज्य में पुलिस प्रशासन गृह मंत्रालय के अधीन है।
* छत्तीसगढ़ पुलिस का सर्वोच्च अधिकारी पुलिस महानिदेशक गृह सचिव के अधीन होता है।
* पुलिस का आदर्श वाक्य " परित्राणाय साधूनां " है। जिसका अर्थ ,सज्जनो को क्लेश से बचाने वाला।
* छत्तीसगढ़ के प्रथम पुलिस महानिदेशक एस. मोहन शुक्ल थे।
* छत्तीसगढ़ में पुलिस प्रशिक्षण अकादमी चंद्रखुरी (रायपुर ) में तथा पुलिस ट्रेनिंग सेंटर माना ( रायपुर ) तथा राजनांदगांव में है।
*** जेल प्रशासन ***
* छत्तीसगढ़ में केंद्रीय जेलों की संख्या 5 है जो अंबिकापुर , बिलासपुर , रायपुर , जगदलपुर तथा दुर्ग में है।
* छत्तीसगढ़ में जेलों की संख्या 10 है तथा उप जेलो की संख्या 12 है।
* छत्तीसगढ़ में जेल अदालत रायपुर के प्रति शनिवार लगती है। रायपुर जेल में विडिओ कांफ्रेंस की सुविधा उपलब्ध है।
* छत्तीसगढ़ की एकमात्र खुली जेल मसगांव ( बस्तर ) है।
* जिले में जेल प्रशासन का प्रमुख कलेक्टर होता है।
**** स्थायी प्रशासन ****
* 73 वे संविधान संसोधन , 1992 के द्वारा स्थानीय स्वशासन / प्रशासन का प्रस्ताव किया गया। स्थानीय प्रशासन के अंतर्गत ग्रामीण एवं शहरी स्थानीय निकाय आते है।
* 1 नवंबर , 2000 को छत्तीसगढ़ में अनुकूलन आदेश 2001 प्रवृत्त हुआ। इसके अंतर्गत संशोधित मध्य प्रदेश पंचायत राज अधिनियम , 1993 का अनुकूलन कर पूरे राज्य में लागू किया गया।
*** ग्रामीण स्थानीय निकाय ***
* ग्रामीण स्थानीय निकायों में त्रिस्तरीय प्रशासन का ढांचा है। इसके अंतर्गत ग्राम पंचायत , जनपद पंचायत और जिला पंचायत आते है।
* ग्रामीण स्थानीय निकायों के सदस्यो का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है। इन निकायों में 50 % सीटे महिलाओं के लिए आरक्षित है।
**** ग्राम पंचायत ****
* एक या एक से अधिक गावों के सदस्यों को मिलाकर एक ग्राम पंचायत का गठन किया जाता है। यह स्थानीय स्वशासन की सबसे छोटी इकाई है।
* पंच , उप -सरपंच एवं सरपंच ग्राम पंचायत के पदाधिकारी होते है।
* सरपंच तथा पंच का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से उप - सरपंच का चुनाव अप्रत्यक्ष रुप से होता है।
*** जनपद पंचायत ***
* जनपद पंचायत में सदस्य ( प्रत्यक्ष) , अध्यक्ष ( अप्रत्यक्ष ) एवं उपाध्यक्ष ( अप्रत्यक्ष ) होते है। प्रत्येक विकासखंड में जनपद पंचायत का गठन किया जाता है।
*** जिला पंचायत ****
* प्रत्येक जिले में जिला पंचायत का गठन किया जाता है। छत्तीसगढ़ मे कुल 27 जिला पंचायते है। इसके पदाधिकारियों में सदस्य ( प्रत्यक्ष ) , उपाध्यक्ष ( अप्रत्यक्ष ) एवं अध्यक्ष ( अप्रत्यक्ष ) होते है।
*** शहरी स्थानीय निकाय ***
शहरी स्थानीय निकाय में नगर निगम , नगरपालिका एवं नगर पंचायत आते है।
*** नगर निगम ****
* छत्तीसगढ़ में नगर निगम की संख्या 13 है , जिसमे नए नगर निगम धमतरी , बिरगांव तथा चरौदा है। नगर निगम का मुख्य पदाधिकारी महापौर होता है तथा प्रशासनिक अधिकारी नगर निगम आयुक्त होता है।
* सर्वाधिक नगर निगम वाले जिले - दुर्ग ( दुर्ग , भिलाई ,चरौदा ) व रायपुर ( रायपुर , बीरगांव ) है।
* छत्तीसगढ़ के सबसे प्राचीन तथा नवीनतम नगर निगम क्रमशः रायपुर ( 1967 ) व चरौदा ( 2016 ) है। नगरीय निकाय को करारोपण की शक्ति राज्य शासन प्रदान करता है।
*** नगरपालिका ****
* इसका मुख्य पदाधिकारी अध्यक्ष होता है तथा प्रशासनिक अधिकारी मुख्य नगरपालिका अधिकारी होता है।
*** नगर पंचायत ****
* छत्तीसगढ़ में स्थानीय निकायों में महिला आरक्षण पहले 33 % था, किन्तु अब 50 % है। नगर पंचायत का मुख्य पदाधिकारी अध्यक्ष तथा प्रशासनिक अधिकारी मुख्य नगर पंचातय अधिकारी होता है।
Tuesday 8 September 2020
छत्तीसगढ़ के प्राकृतिक स्थल chhattisgarh ke prakritik sthal
*** छत्तीसगढ़ के प्राकृतिक स्थल ****
पर्यटन की दृष्टि से छत्तीसगढ़ के महत्वपूर्ण प्राकृतिक स्थल निम्न है :-
* मैनपाट -
यह सरगुजा जिला मुख्यालय से 75 किमी. दूर पूर्वोत्तर में स्थित पठार है। यह ऊंचाई वाली पहाड़ियो पर स्थित है, जिसे तिब्बती शरणार्थियों द्वारा बनाया गया है। इसे छत्तीसगढ़ का शिमला भी कहा जाता है। यहां ऊन एवं चमड़े का सामान मिलता है।
* गंगरेल -
यह धमतरी से आगे जगदलपुर मार्ग पर बाई ओर मुख्य मार्ग से लगभग 10 किमी. की दूरी पर स्थित है। रायपुर से इसकी दूरी 92 किमी. है।
* तांदुला -
यह दुर्ग जिले के मुख्यालय से बालोद होते हुए 64 किमी. की दूरी पर स्थित है। तांदुला नदी पर बनाया हुआ बांध सुंदर प्राकृतिक सौंदर्य लिए हुए है।
* खरखरा -
यह राजनांदगांव जिले में स्थित है। यहां 1 ,129 मी. लम्बा बांध खरखरा नदी पर बनाया गया है यह जलाशय के लिए जाना जाता है। यह पिकनिक के लिए सुंदर स्थान है। यह दुर्ग से 25 किमी. की दूरी पर स्थित है।
* खूंटाघाट -
यह बिलासपुर से पाली के पश्चात अंबिकापुर मार्ग पर बिलासपुर से 3 . 15 किमी. की दूरी पर है। यहां पर पानी का वृहद संकलन , आकर्षक सौंदर्य तथा सिंचाई विभाग द्वारा निर्मित विश्राम गृह आदि है।
* तीरथगढ़ -
यह जगदलपुर से 39 किमी. की दूरी पर स्थित छत्तीसगढ़ का सबसे ऊँचा जलप्रपात है। यहां का सुंदर , मनोरम ,प्राकृतिक व शांत वातावरण , घने वनो से आच्छादित रोमांचक स्थल , शहर के कोलाहल से दूर असीम शांति प्रदान करता है।
* चित्रकूट -
यह छत्तीसगढ़ का सबसे चौड़ा एवं सर्वाधिक जलमात्रा वाला जलप्रपात है। यह बस्तर जिले में स्थित है। जगदलपुर से 38 . 4 किमी. दूरी पर इंद्रावती नदी पर 29 मी. की ऊंचाई से गिरने वाली अपार जलराशि का यह प्रपात दर्शको को आकर्षित करता है।
* अमृतधारा -
यह सरगुजा जिले के मनेन्द्रगढ़ से 10 किमी. की दूरी पर एक सुंदर झरना है। यह अमृतधारा के नाम से जाना जाता है।
* पंचवटी -
कांकेर से केशकाल आने पर जहां केशकाल घाट समाप्त होता है , वहां पश्चिम में पंचवटी नामक मनोरम स्थल का विकास राज्य का वन विभाग कर रहा है। घाटी के दृश्य को देखने के लिए 40 -50 फ़ीट ऊँचा वाँच टावर बनाया गया है। इस स्थान पर एक डाक बंगला भी है।
Thursday 3 September 2020
छत्तीसगढ़ के पर्यटन एवं पुरातात्विक स्थल
****छत्तीसगढ़ के पर्यटन एवं पुरातात्विक स्थल ****
छत्तीसगढ़ के महत्वपूर्ण ऐतिहासिक एवं धार्मिक स्थलों का विवरण निम्न है :-
*** चम्पारण्य ***
* यह महाप्रभु वल्लभाचार्य का जन्म स्थल है। वल्लभ सम्प्रदाय के प्रणेता प्रसिद्ध वैष्णव संत वल्लभाचार्य का धाम चम्पारण्य रजिम से मात्र 9 किमी. की दूरी पर स्थित है।
* प्रतिवर्ष माघ पूर्णिमा में यहां मेला लगता है। आचार्य वल्लभाचार्य को समर्पित मंदिर के अतिरिक्त यहां एक पुराना शिव मंदिर भी है। पुरातनता के अतिरिक्त मंदिर में स्थापित शिवलिंग में क्रमशः शिव -पार्वती , गणेश एक साथ समाहित है।
**** सिरपुर ****
* यह एक ऐतिहासिक धार्मिक पुरातात्विक स्थल है जो महासमुंद जिले में स्थित है। प्राचीन काल में इसे श्रीपुर तथा चित्रांगदपुर के नाम से भी जाना जाता था। इसे समृद्ध की नगरी भी कहा जाता है।
* इस जिले को शरभपुरीय एवं पाण्डुवंशीय शासको की राजधानी होने का श्रेय प्राप्त है।
* बौध्द ग्रन्थ अवदान शतक के अनुसार महात्मा बुद्ध यहा आए थे तथा चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भी 639 ई. में यहां की यात्रा की थी।
* पाण्डुवंशीय शासक हर्ष गुप्त की पत्नी वाटसा देवी ने यहां लक्ष्मण मंदिर का निर्माण कार्य प्रारम्भ करवाया था ,जो महाशिव गुप्त बालार्जुन के समय में पूर्ण हुआ था। इसके गर्भगृह में भगवान विष्णु की प्रतिमा है।
* यहां लक्ष्मण मंदिर के अतिरिक्त आनंद प्रभु कुटी विहार , स्वास्तिक बौद्ध विहार , गंधेश्वर महादेव मंदिर , तीवर देव विहार तथा बालेश्वर महादेव का मंदिर प्रमुख दर्शनीय स्थल है।
* स्वास्तिक बौद्ध विहार का संबंध बौद्ध धर्म से है , यहां भगवान बुद्ध की ध्यान अवस्था में निर्मित मूर्ति स्थापित है। यहां प्रतिवर्ष बुद्ध पूर्णिमा पर सिरपुर महोत्सव का आयोजन होता है।
* आनंद प्रभु कुटी विहार , आनंद प्रभु नामक बौद्ध भिक्षु द्वारा निर्मित है। गंधेश्वर महादेव मंदिर का जीर्णोद्धार चिमणजी भोसले ने कराया था।
***** राजिम *****
* राजिम को राज्य का महातीर्थ माना गया है। इसे राज्य का प्रयाग नाम से भी जाना जाता है। राज्य की महत्वपूर्ण और धार्मिक आस्थाओं से युक्त यह स्थल महानदी ,पैरी एवं सोंढूर नदियों के संगम पर स्थित है।
* यहां राजेश्वर मंदिर , लोमेश तथा धौम्य आश्रम भी दर्शनीय है।
* प्रतिवर्ष माघ पूर्णिमा को यहां एक बड़ा मेला लगता है। इस मेले में प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में श्रद्धालु पर्यटक पवित्र महानदी में स्नान करके पुण्य लाभ उठाते है।
**** पाली *****
* यह ऐतिहासिक स्थल कोरबा जिले के अंतर्गत स्थित है। यहां जलाशय के समीप स्थित प्राचीन शिव मंदिर दर्शनीय है। यह लगभग एक हजार वर्ष पुराना मंदिर है , जिसे बाण वंश के राजा विक्रमादित्य ने 9 वीं सदी में बनवाया था।
***** आरंग *****
* यह रायपुर से संबलपुर जाने वाले राष्ट्रीय मार्ग -53 पर पूर्व की ओर स्थित है।
* यहां ऐतिहासिक पुरातात्विक महत्व के अनेक मंदिर स्थित है , इसलिए इसे मंदिरो का नगर कहा जाता है।
* यहां से जैन तीर्थकरो की अनेक प्रतिमाएं प्राप्त हुई जिनमे नेमिनाथ , अजितनाथ व श्रेयांश नाथ की 7 फीट ऊँची ग्रेनाइट पत्थर की मूर्तिया प्रमुख है।
* ऐसी जनश्रुति है कि मंदिर में भाई - बहन एक साथ प्रवेश नहीं करते।
***** कुनकुरी ****
* यह रायगढ़ - जशपुर राजमार्ग पर जशपुर से लगभग 45 किमी. पहले कुनकुरी स्थान पर स्थित है।
* यहां अवस्थित कैथोलिक चर्च देश - विदेश में प्रसिद्ध है , जो कैथोलिक ईसाइयो का पवित्र स्थान है।
* यहां पर मनियारी नदी व शिवनाथ नदी के संगम पर ईसाई धर्म का प्रसिद्ध मेला लगता है।
****** जांजगीर *****
* यह हैहय वंश के प्रसिद्ध शासक जाज्जवल्यदेव द्वारा बसाई गई नगरी है।
* यहां बारहवीं शताब्दी में निर्मित विष्णु मंदिर है , जो कल्चुरी विष्णु मंदिर की भांति एक प्राचीन शिव मंदिर है।
***** शिवरीनारायण *****
* यह जांजगीर - चांपा जिले में स्थित है। यहां महानदी , शिवनाथ एवं जोंक नदी का त्रिवेणी संगम है।
* दंतकथाओं के अनुसार , राम ने शबरी के जूठे बेर इसी स्थान पर खाए थे।
* शबरी माता नर - नारायण मंदिर , चंद्रचूड़ का मंदिर एवं केवट मंदिर आदि यही पर स्थित है।
****** रामगढ़ ******
* बिलासपुर - अंबिकापुर मार्ग पर क्रमशः बिलासपुर से 100 किमी. तथा अंबिकापुर से 40 किमी. की दूरी पर सरगुजा जिले में स्थित है। किंवदंतियों के अनुसार यह स्थान रामगढ़ से जुड़ा है। ऐसी मान्यता है कि वनवास के समय राम , लक्ष्मण और सीता इस स्थान पर कुछ दिन ठहरे थे।
***** डीपाडीह ****
* इस अत्यंत महत्वपूर्ण पुरातात्वीय स्थान के चारो ओर 1 किमी. क्षेत्र में अनेकानेक प्राचीनतम मंदिरो के अवशेष विद्धमान है।
* इनमे सामत सरना , जो वस्तुतः एक शिव मंदिर है , अत्यंत महत्वपूर्ण है।
***** बारसूर ****
* छिंदक नाग राजाओं की राजधानी रहा यह क्षेत्र 11 -12 वीं शताब्दी के मंदिरो के लिए सुविख्यात है।
* मंदिर में विध्न विनाशक ( गणेश ) अपनी विशालता के लिए प्रसिद्ध है। इसके साथ ही मामा - भांजा मंदिर तथा बत्तीसगुड़ी मंदिर , देवराली मंदिर आदि भी विख्यात है।
***** कबीरधाम *****
* कबीरधाम ( कवर्धा ) में मड़वा महल एवं छेरकी महल प्रमुख ऐतिहासिक पर्यटन स्थल है। कवर्धा महल के मुख्य प्रवेश द्वार को हाथी दरवाजा के नाम से जाना जाता है।
***** मड़वा महल *****
* इसे शैव मत के वामाचार , सम्प्रदाय का प्रमुख केंद्र मानते है।
* इसका निर्माण वर्ष 1349 ई. में फणिनागवंशी शासक रामचन्द्रदेव ने कराया था। इसे दूल्हा देव भी कहते है , यह स्थान विवाह का प्रतीक माना जाता है।
***** छेरकी महल ****
* 13 -14 वीं शताब्दी में ईट एवं प्रस्तर से निर्मित इस शिव मंदिर का पुरातात्वीय महत्व है।
***** पुजारी पाली *****
* आठवीं शताब्दी में सोमवंशीय राजाओं के शासनकाल में ईंटो द्वारा निर्मित पुजारी पाली स्मारक भारतीय स्थापत्य कला का अनुपम उदाहरण है।
* इन जीर्ण - शीर्ण स्मारकों में गोपाल मंदिर तथा केवटिन मंदिर प्रमुख है।
Wednesday 2 September 2020
छत्तीसगढ़ के प्रमुख मंदिर
***छत्तीसगढ़ के प्रमुख मंदिर***
छत्तीसगढ़ के प्रमुख मंदिर निम्न है :-
******भोरम देव मंदिर -
* यह कबीरधाम जिले का प्रमुख पर्यटन स्थल है। इसे छत्तीसगढ़ का खजुराहो भी कहा जाता है। इस मंदिर का निर्माण 1089 ई. में फणिनाग वंश के राजा गोपालदेव ने करवाया था।
* यह नागर शैली में निर्मित मंदिर है तथा इस मंदिर की दीवारों पर हाथी , घोड़े , नटराज , गणेश की मूर्तियां बनी है। भोरमदेव का मंदिर छत्तीसगढ़ की स्थापत्य कला एवं मूर्तिकला में अपना विशेष स्थान रखता है।
*****राजीव लोचन मंदिर -
* यह मंदिर राजिम में स्थित है , जिसका निर्माण नलवंशी शासक विलासतुंग ने कराया था। यह पंचायतन शैली में निर्मित विष्णु भगवान का मंदिर है।
दंतेश्वरी देवी मंदिर -
* यह शंखिनी तथा डंकिनी नदी के तट पर स्थित एक प्राचीन मंदिर है तथा इसके आस -पास का क्षेत्र शाक्य मत की उग्र उपासना का प्रमुख केंद्र रहा है।
* यह प्राचीन मंदिर दंतेवाड़ा में स्थित है। इसका निर्माण काकतीय वंश के राजा अन्नमदेव ने करवाया था। मंदिर के गर्भगृह में महिषासुरमर्दिनी की जो भव्य प्रतिमा विराजमान है , उसे दंतेश्वरी देवी पुकारा जाता है।
* मंदिर के परिसर में शिव , गणेश , नंदी तथा विष्णु आदि की प्राचीनतम प्रतिमाएं स्थापित है।
*****डिडिनेश्वरी मंदिर तथा पातालेश्वर मंदिर-
* डिडिनेश्वरी मंदिर तथा पातालेश्वर मंदिर यह दोनों मंदिर बिलासपुर जिले के मल्हार में स्थित है। डिडिनेश्वरी मंदिर तथा पातालेश्वर मंदिर में चतुर्भुजी विष्णु की प्रतिमा अवस्थित है। विष्णु की चतुर्भुजी मूर्ती राज्य में सबसे पुरानी मूर्ति है , जो मौर्यकालीन मानी जाती है।
*****देवरानी -जेठानी मंदिर -
* ये मंदिर बिलासपुर जिले के तालगांव में स्थित है। देवरानी जेठानी मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। देवरानी , जेठानी मंदिर से लगभग 15 किमी. दूरी पर स्थित है।
* इसका निर्माणकाल 5 वीं से 6 वीं शताब्दी है।
****** मामा - भांजा मंदिर -
* यह मंदिर राज्य के दंतेवाड़ा जिले के बारसूर में स्थित है। यह राज्य के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है।
****** मां बम्लेश्वरी देवी मंदिर -
* यह मंदिर डोंगरगढ़ में राज्य की सबसे ऊँची चोटी पर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण राजा वीरसेन ने कराया था डोंगरगढ़ में माँ बम्लेश्वरी के दो मंदिर है , पहाड़ी पर स्थित मंदिर को बड़ी बम्लेश्वरी माता व नीचे स्थित मंदिर को छोटी बम्लेश्वरी माता के नाम से जाना जाता है।
***** सिरपुर लक्ष्मण मंदिर -
* सिरपुर का लक्ष्मण मंदिर लाल ईटो से बना हुआ अतिप्रसिद्ध है। सिरपुर प्राचीन छत्तीसगढ़ की राजधानी थी।
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