Thursday 29 October 2020

छत्तीसगढ़ में महाजनपद काल

 

छत्तीसगढ़ में महाजनपद काल  

 

 

* भारतीय इतिहास में छठी शताब्दी ईसा पूर्व का विशेष महत्व है ,  क्योकि  इसी समय से ही भारत का व्यवस्थित इतिहास मिलता है।  इस  काल में  देश  16  महाजनपदों  में विभाजित था। 

 

* इस काल  छत्तीसगढ़  चेदि  महाजनपद  के अंतर्गत  शामिल था। 

 

* चेदि  महाजनपद की राजधानी शक्तिमती  थी।  चेदि महाजनपद के अंतर्गत  शामिल  कारण  इसे  चेदिसगढ़  भी कहा जाता  था।   छत्तीसगढ़  नाम इसी के अप्रभंश   बना। 


*  छत्तीसगढ़  का वर्तमान क्षेत्र  ( दक्षिण )  कोसल   नाम से  एक  पृथक प्रशासनिक  इकाई था ,  मौर्यकाल  से पूर्व  के  सिक्को की   प्राप्ति  से इस अवधारणा  की पुष्टि  होती है।



 

 

 

छत्तीसगढ़ में रामायण काल

 

   छत्तीसगढ़ में रामायण काल  

 

* इस काल में छत्तीसगढ़ का नाम दक्षिण कोसल  था तथा इसकी राजधानी कुशस्थली  थी। इस समय दक्षिण कोसल की भाषा  कोसली थी। 

 

* वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण के अनुसार , दक्षिण कोसल के राजा भानुमंत की पुत्री कौशल्या  का विवाह उत्तर कोसल के राजा दशरथ से हुआ था  इस प्रकार छत्तीसगढ़ श्रीराम का ननिहाल माना जाता  है। 


* कोसल प्रदेश का  नामकरण  राजा भानुमंत  के पिता महाकोसल के नाम से हुआ  ,ऐसा माना जाता है। 

 * इस काल में  बस्तर का नाम दंडकारण्य  था। 

 

* राज्य में रामायणकालीन  प्रमुख  स्थल सरगुजा ( रामगढ , सीता बेंगरा , लक्ष्मण बेंगरा ) ,  शिवरीनारायण  ( शबरी  का निवास  स्थल ) , तुरतुरिया  वाल्मीकि  आश्रम  ( लव -कुश  का  जन्म स्थान ) , सिहावा  पर्वत  , पंचवटी  ( सीता  का अपहरण  क्षेत्र ) व  दंडकारण्य  ( राम के वनवास  का एक प्रमुख  क्षेत्र ) है। 

 

 




छत्तीसगढ़ में बौद्ध एवं जैन धर्म

 

 

छत्तीसगढ़ में बौद्ध एवं जैन धर्म 

 

*  अवदान  शतक नामक बौद्ध  ग्रन्थ के अनुसार , महात्मा बुद्ध सिरपुर ( छत्तीसगढ़ ) आए  थे  तथा लगभग  तीन माह तक  यहां  की राजधानी  ( श्रावस्ती  ) में उन्होंने   प्रवास  किया  था।  ऐसी  जानकारी  चीनी यात्री  ह्वेनसांग  के यात्रा  वृत्तांत  से भी मिलती  है। 

 

* छठी  शताब्दी  में बौद्ध  भिक्षु  प्रभु आनंद  ने सिरपुर  में स्वास्तिक विहार  एवं आनंद कुटी विहार  निर्माण  कराया था।  

 

* जैन धर्म ग्रन्थ  भगवती  सूत्र  के अनुसार  कोसल  महाजनपद  उत्तर कोसल  तथा  दक्षिण कोसल  में बंटा  हुआ था। 

 

* ऋषभ देव के विषय   जानकारी  गुंजी  ( जांजगीर -चांपा )  से , पर्श्वनाथ  की  नगपुरा  ( दुर्ग ) से  तथा  महावीर   आरंग  ( रायपुर ) से मिलती है। 

 

 

 

 

 

 

 

छत्तीसगढ़ में महाजनपद काल

  छत्तीसगढ़ में महाजनपद काल       * भारतीय इतिहास में छठी शताब्दी ईसा पूर्व का विशेष महत्व है ,  क्योकि  इसी समय से ही भारत का व्यवस्थित इतिह...